Friday, May 5, 2017

Supreme court का बड़ा फैसला दिल्ली गैंगरेप के दोषियों की सजा फांसी बरकरार।



Asha and badri Jyoti's parents 

नई दिल्ली: निर्भया गैंगरेप मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट द्वारा दी गई फांसी की सजा को बरकरार रखा है. उस समय कोर्ट में निर्भया के माता-पिता भी मौजूद थे। 

 फैसला सुनकर निर्भया की मां भावुक हो गईं और उनकी आंखों में आंसू आ गए. सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में अहम टिप्पणियां भी कीं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा-सेक्स और हिंसा की भूख के चलते बड़ी वारदात को अंजाम दिया. दोषी अपराध के प्रति आसक्त थे. जैसे अपराध हुआ, ऐसा लगता है अलग दुनिया की कहानी है.  घटना की रात नाबालिग समेत सभी दोषी बस में मौजूद थे. पुलिस की जांच और डीएनए से गुनाह साबित हुआ। 

 जजों के फैसला सुनाने के बाद कोर्ट में तालियां बजीं. 

गैंगरेप के चार दोषियों मुकेश, अक्षय, पवन और विनय को साकेत की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी, जिस पर 14 मार्च  2014 को दिल्ली हाईकोर्ट ने भी मुहर लगा दी थी। 

 दोषियों की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा पर रोक लगा दी थी. इसके बाद तीन जजों की बेंच को मामले को भेजा गया और कोर्ट ने केस में मदद के लिए दो एमिक्‍स क्यूरी नियुक्त किए गए थे.

आपको बता दें कि  16 दिसंबर 2012,  निर्भया शाम को साकेट के सेलेक्ट सिटी मॉल में लाइफ ऑफ पाई देखकर 23 साल की निर्भया अपने दोस्त के साथ मुनीरका इलाके के बस स्टॉप पर घर जाने के लिए बस लेने का इंतजार कर रही थी। 

 इसी बीच एक  सफेद बस रुकी. उसमें से एक शख्‍स ने उन लोगों को बस में चढ़ने का ऑफर दिया. थोड़ा हिचकते हुए वे दोनों बस में चढ़ गए. उस बस में ड्राइवर समेत छह लोग पहले से मौजूद थे. बस में चढ़ते ही परिचालक ने दरवाजा बंद कर दिया. कुछ दूर आगे जाने पर बस के परिचालक व उसके साथियों ने युवती से छेड़खानी शुरू कर दी थी. विरोझ करने पर इन लोगों ने युवती के दोस्त की रॉड से बुरी तरह पिटाई कर दी। 

  इसके बाद युवती के साथ सामूहिक रूप से बलात्कार किया गया. इस दौरान बस लगातार चल रही थी और करीब 20 किलोमीटर की दूरी तय कर ली थी. दोषियों ने बलात्कार के बाद युवती को निर्वस्त्र हालत में सड़क पर फेंक दिया. वहां से गुजरने वालों ने इसकी सूचना पुलिस को थी.

10.22 मिनट पर दिल्ली कैंट थाने को सूचना मिली कि महिपालपुर से दिल्ली कैंट की तरफ आने पर जीएमआर कंपनी के गेट नंबर एक के सामने एक लड़का व लड़की बेहोशी की हालत में पड़े हुए हैं।

मौके पर पहुंची पुलिस दोनों को सफदरजंग अस्पताल लेकर गई. घटना के कुछ दिन बाद युवती की इलाज के दौरान मौत हो गई थी. युवती को बेहरमी से मारा गया था, जिससे उसके अंदरूनी हिस्सों में काफी चोट आई थी।

पुलिस ने वारदात में शामिल बस चालक रामसिंह, परिचालक मुकेश कुमार, अक्षय ठाकुर और उनके साथियों पवन कुमार और विनय शर्मा को गिरफ्तार किया था. मामले में पुलिस ने एक नाबालिग को भी पकड़ा था. निचली अदालत ने नाबालिग को बाल सुधार गृह भेजने का आदेश दिया था जबकि बाकी सभी दोषियों को फांसी की सजा सुनाई थी.

तिहाड़ जेल में 11 मार्च 2013 को राम सिंह ने खुदकशी कर ली थी. अन्य दोषियों ने फांसी की सजा को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी, जहां कोर्ट ने उनकी सजा को बरकरार रखा. इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में सजा को चुनौती दी है. तीन साल बाल सुधार गृह में बिताकर नाबालिग रिहा हो चुका है।

No comments:

Post a Comment